DO NOT MISS

Thursday, September 28, 2017

शर्मनाक: नीची जाति का मूंछ कैसे रख सकता है कहकर दलित युवक को बुरी तरह पीटा

गुजरात: गांधीनगर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर एक दलित युवक को स्टाइलिश मूंछ रखने कारण कथित तौर पर ऊंची जाती के लोगों ने उसे बुरी तरह पीटा। गांधीनगर के काकोल तालुका में लिंबोदरा गांव में रहने वाले पीड़ित पीयूष परमार (25) ने बताया कि बीती 25 सिंतबर को दरबार समुदाय को लोगों ने उसके साथ मारपीट की। क्योंकि उन लोगों को पसंद नहीं आया कि दलित समुदाय का युवक मूंछ रखे। 



वहीं पुलिस ने उत्पीड़न के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आरोपियों की पहचान मयूर सिंह वघेला, राहुल विक्रमसिंह और अजीत सिंह वघेला के रूप में हुई। मामले की जांच एसपी स्तर के अधिकारी द्वारा की जा रही है। एफआईआर के अनुसार पीयूष परमार, जो गांधीनगर एक निजी फर्म में काम करता है, अपने चचेरे भाई दिगांत महेरिया के साथ गरबा देखकर घर घर लौट रहे थे। रास्ते में कुछ लोगों ने उन्हें जातिसूचक भद्दी गालियां दीं।

पीड़ित परमार ने टीओआई को बताया, ‘वहां बहुत अंधेरा था। हम उन्हें देख नहीं सकते थे। जहां से गालियों की आवाज आ रहीं थीं हम वहां पहुंचे। वहां दरबार समुदाय के तीन युवक थे। हालांकि किसी तरह झगड़े से बचने के लिए हमने इसे नजरअंदाज किया। लेकिन वो हमारा पीछा कर घर तक पहुंच गए और दोबारा गालियां देने लगे। उन्होंने पहले दिगांत को पीटा और फिर मुझे भी पीटने लगे। वो बार-बार पूछ रहे थे कि नीची जाति के होने के कारण में मैं मूछ कैसे रख सकता हूं।’ आरोपियों के खिलाफ कालोल पुलिस स्टेशन में आईपीसी के धारा 323, 504 और 114 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

जानकारी के लिए बता दें कि इसस पहले भी गुजरात में ऊंची जाति के कुछ लोगों द्वारा एक दलित परिवार की कथित तौर पर बेरहमी से पीटा गया। यहां एक बार फिर से ऊना कांड जैसे मामले को दोहराने की कोशिश की गई। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक गुजरात के आणंद जिले के सोजित्रा तालुका के कासोर गांव में कथित रूप से ऊंची जाति के कुछ लोगों ने एक दलित महिला और उसके बेटे को पहले नंगा किया और फिर बेंत से बुरी तरह पिटाई की। घटना 12 अगस्त की थी। घटना में पीड़िता मणिबेन (45) और शैलेश रोहित (21) की भीड़ ने लाठियों से पिटाई की और अपशब्द कहे। इस घटना में भी गांव के दरबार (क्षत्रिय) समुदाय के लोगों का हाथ बताया गया।

खण्डहर भवन चामुंडा मंदिर के लिए बना खतरा, नगर पालिका व प्रशासन मौन

रुद्रप्रयाग। अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम स्थल पर स्थित मां चामुंडा मंदिर पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। आलम यह है कि मंदिर के पीछे खण्डहर पुजारी आवास कभी भी ढह सकता है, जबकि मंदिर से नदी तक पहुंच मार्ग पर रैलिंग न होने से श्रद्धालुओं को नदी में गिरने का भय बना रहता है। आपदा के बाद से लेकर आज तक सत्संग भवन भी जीर्ण-शीर्ण हालत में है, जिसके पुनर्निर्माण को लेकर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।


ब्रदी-केदार यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव और अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम स्थल पर विराजमान मां चामुंडा मंदिर की ओर प्रशासन और नगर पालिका का कोई ध्यान नहीं है। हर वर्ष यात्राकाल के दौरान लाखों तीर्थ यात्री संगम स्थल पहुंचते हैं और नारदशिला के दर्शन करने के साथ ही मां चामंुडा मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद अपने अगले पड़ाव की ओर प्रस्थान करते हैं। यहां से श्रद्धालु बद्री-केदार की यात्रा पर निकलते हैं, लेकिन दुर्भाग्य यह कि आपदा के चार साल बाद भी चामुंडा मंदिर से संगम स्थल तक सुरक्षा रैलिंग नहीं लगाई गई है, जबकि आपदा में तबाह हुए सत्संग भवन का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है। दुख का विषय यह भी कि खण्डहर भवन की ओर भी प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। यह खण्डहर भवन कभी भी धराशायी होकर चामुंडा मंदिर को नुकसान पहुंचा सकता है। 

स्थानीय लोगों की ओर से कई बार प्रशासन और नगर पालिका को अवगत कराया जा चुका है, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। आपदा के बाद से मंदिर के पास ऐसी कोई भी स्थान नहीं है, जहां पर यात्री कुछ देर विश्राम करें या फिर भजन-कीर्तन किये जांय। मंदिर की महंत सोमवार गिरी का कहना है कि आपदा में मंदिर का सत्संग भवन क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके बाद से आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। प्रशासन और नगर पालिका संगम स्थल की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। मंदिर के पीछे पुजारी भवन भी खण्डहर हालत में है, जो कभी भी ढह सकता है और इससे मंदिर को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से भी श्रद्धालुओं को खतरा बना हुआ है। हर शाम संगम में गंगा आरती की जाती है। इस दौरान श्रद्धालुओं के गिरने का भय बना हुआ रहता है। 

भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र रावत ने कहा कि ब्रदीनाथ और केदारनाथ यात्रा पड़ाव और अलकनंदा-मंदाकिनी के संगम स्थल की कोई सुधन नहीं ली जा रही है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर की स्थिति को देखकर श्रद्धालुओं को भी दुख होता है और वे यहां के पालिका और प्रशासन को कोसते हैं। उन्होंने कहा कि संगम स्थल पर सत्संग भवन और पुजारी भवन क्षतिग्रस्त होने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, जिससे श्रद्धालुओं को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने पुजारी भवन के नवनिर्माण के साथ ही श्रद्धालुआंे की सुरक्षा के लिए रैलिंग लगाने की मांग की। वहीं इस संबंध में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि अलकनंदा व मंदाकिनी का संगम स्थल धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह स्थल श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संगम के सौन्दर्यीकरण और सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान रखा जायेगा और जल्द ही निर्माण कार्य करवाया जायेगा। 

Wednesday, September 27, 2017

चौथे वनडे में हारने के साथ टीम इंडिया ने गंवाया नंबर 1 का ताज

बेंगलुरु: चौथे वनडे में मिली शिकस्त के बाद टीम इंडिया का न सिर्फ 5-0 से जीतने का सपना टूट गया, बल्कि आईसीसी वनडे रैंकिंग में उसे नंबर 1 का ताज भी गंवाना पड़ा। टीम इंडिया को 21 रनों से मिली हार के बाद एक बार फिर द.अफ्रीका 5957 पॉइंट्स के साथ पहले नंबर पर पहुंच गया है। जबकि टीम इंडिया के 5828 पॉइंट्स हैं। 5879 पॉइंट्स के साथ अॉस्ट्रेलिया तीसरे नंबर पर काबिज है। 


बेंगलुरु के एम.चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए चौथे वनडे में अॉस्ट्रेलियाई टीम ने अपना खाता खोला। पहले बल्लेबाजी करते हुए डेविड वॉर्नर (124) और एरॉन फिंच (94) के बीच पहले विकेट के लिए हुई 231 रनों की साझेदारी के दम पर भारत के सामने 335 रनों का विशाल लक्ष्य रखा। मेजबान टीम केदार जाधव (67), रोहित शर्मा (65) और अजिंक्य रहाणे (53) की अर्धशतकीय पारियों के बावजूद भी लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी और पूरे 50 ओवर खेलने के बाद आठ विकेट के नुकसान पर 313 रन बना सकी।

विशाल लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को रोहित और रहाणे ने मनमाफिक शुरुआत दी और पहले विकेट के लिए 18.2 ओवरों में 106 रनों की साझेदारी की। अर्धशतक पूरा करने के थोड़ी देर बाद ही रहाणे, केन रिचर्डसन का शिकार हो गए। रहाणे ने 66 गेंदों का सामना करते हुए छह चौके और एक छक्का लगाया। कुछ देर बाद रोहित और कप्तान विराट कोहली (21) के बीच रन लेने में गलतफहमी हुई और रोहित पवेलियन लौट गए। रोहित ने अपनी पारी में 55 गेंदें खेलीं और पांच शानदार छक्के लगाए। कोहली (21), नाथन कल्टर नाइल की गेंद को पर बोल्ड हो गए। 147 के कुल स्कोर तक भारत ने अपने तीन प्रमुख बल्लेबाजों को खो दिया था।

टी0एस0आर0 सरकार मानसिक रूप से दिवालिया: नेगी

देहरादून। जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि टी0एस0आर0 सरकार मानसिक रूप से दिवालिया हो गयी है, जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार को यही मालूम नहीं कि पलायन कैसे रूकेगा तथा प्रदेश से क्यों पलायन हो रहा है।

नेगी ने कहा कि सरकार अगर अनुभवी होती तो निश्चित तौर पर आयोग बनाकर ये नादानी नहीं करती। सरकार को मालूम होना चाहिए कि पृथक राज्य की बुनियाद ही युवाओं के रोजगार को लेकर हुई थी इसको धरातल पर उतारने हेतु सरकार को नये-नये पद सृजित करने चाहिए थे, जिससे और अधिक बेरोजगारों को रोजगार मिलता, लेकिन सरकार पद समाप्त करने पर तुली है। भाजपा के राज में युवा रू0 5000/- की नौकरी के लिए अन्य प्रदेश में ठोकरे खाने को मजबूर है। नेगी ने कहा कि सरकार को 6 महीना हो गये हैं लेकिन पहाड़ों में लघु उद्योगों के बारे में सरकार के पस कोई रोड-मेप नहीं है। सरकार को चिकित्सा, शिक्षा तथा पर्यटन के क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन करना होगा तभी प्रदेश के बेरोजगारों एवं वहाॅं के निवासियों का पलायन रूकेगा। नेगी ने व्यंग्य करते हुए कहा कि सरकार ने आयोग बनाकर आयोग वालों का पलायन तो रोक ही दिया।

Tuesday, September 26, 2017

पद्मावती में दीपिका के गहनों का वजन सुन हैरान रह जाएंगे आप


दीपिका पादुकोण की फिल्म 'पद्मावती' लंबे समय से सुर्खियों में बनी हुई है. हाल ही में फिल्म के किरदारों के लुक रिवील किए गए. इसके बाद तो फिल्म की रिलीज का इंतजार और बढ़ गया है.

रॉयल लुक में दीपिका इतनी जम रही हैं कि देखने वाले बस देखते रह जाएं. लेकिन इस लुक को कैरी करने वाली दीपिका ही जानती हैं कि इसके लिए उन्होंने कितनी मेहनत की है.

एक वेबसाइट पर छपी खबर की मानें तो इस फिल्म में दीपिका ने 20 किलो के गहने पहने हैं. रानी 'पद्मावती' के गहने ही नहीं उनके कपड़े भी काफी भारी-भरकम हैं. लेकिन फिल्म की कॉस्ट्यूम डिजाइनर रिंपल नरुला का कहना है कि लोग वजन की बात कर रहे हैं. हमने ऐसा कुछ नहीं बनाया जिसे पहनना नामुमकिन हो.
गहनों और कपड़ों के अलावा दीपिका का यूनीब्रो लुक भी काफी चर्चा में है. इससे पहले काजोल, शिल्पा शेट्टी जैसी एक्ट्रेसेज इस लुक में नजर आ चुकी हैं. लेकिन दीपिका ने इस फिल्म के लिए खास तौर पर यह लुक अपनाया. दीपिका से अलग शाहिद का लुक भी बेहतरीन लग रहा है.



BHU विवाद: VC त्रिपाठी से छीने गए सारे अधिकार, चीफ प्रॉक्टर ने दिया इस्तीफा


बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओं पर लाठीचार्ज मामले में वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी पर गाज गिरी है. सूत्रों के अनुसार उनके सारे अधिकार अग्र‍िम आदेश तक सीज कर दिए गए हैं. वहीं विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर ओंकारनाथ सिंह ने इस पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद इस्तीफे की पेशकश की है.
गिरीश चंद्र त्रिपाठी 26 नवंबर को विश्वविद्यालय के कुलपति पद से रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में सूत्रों ने बताया कि वह फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे. दरअसल मंगलवार को कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसमें इस पूरे मामले में उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने कुलपति को तत्काल हटाने की मांग की है.
वाराणसी के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने मुख्य सचिव राजीव कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. रिपोर्ट में उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रशासन को दोषी ठहराया है. इस बीच बीएयचू प्रशासन ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है.
शासन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेज दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता की शिकायत पर संवेदनशील तरीके से गौर नहीं किया और वक्त रहते इसका समाधान नहीं किया गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता, तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता.
इस बीच, कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने बचाव में कहा कि कार्रवाई उन लोगों पर की गई, जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को आग लगा रहे थे. उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज और परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की बात को झुठलाते कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे को प्रभावित करने के लिए 'बाहरी तत्वों' ने कैम्पस का माहौल बिगाड़ा.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग कैम्पस में पेट्रोल बम फेंक रहे थे, पत्थरबाजी कर रहे थे. किसी भी छात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. कार्रवाई का एक भी प्रमाण नहीं है. कुलपति ने कहा, "23 सितंबर की रात लगभग 8.30 बजे जब मैं छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा रहा था, उस समय अराजक तत्वों ने मुझे रोककर आगजनी और पत्थरबाजी शुरू कर दी."
कुलपति ने कहा कि पीड़ित छात्रा और उसकी सहेलियों के साथ उन्होंने दो बार मुलाकात की. छात्राओं ने उन्हें बताया था कि धरने का संचालन खतरनाक किस्म के अपरिचित लोग कर रहे हैं. उन लोगों ने पीड़ित छात्रा को धरना स्थल पर बंधक बनाकर जबरन बिठाए रखा था. पुलिस ने ऐसे तत्वों को कैम्पस से बाहर करने के लिए ही बल प्रयोग किया.

Tuesday, September 19, 2017

छात्रसंघ चुनाव को लेकर लखनऊ विश्विद्यालय के समस्त छात्र संगठन धरने पर बैठे। सोमवार को शुरू हुआ धरना पिछले 24 घंटे से जारी है।


यू पी से संवाददाता ( आलिया )


धरना शुरू करने से पहले विवि के छात्रसंघ भवन में छात्रों ने एक प्रेसवार्ता की। इस वार्ता में छात्र नेता पुनीत सिंह, समाजवादी छात्रसभा प्रतिनिधि,ABVP, अन्य छात्रसंगठन वा आम छात्र भी शामिल रहे। धरने पे बैठे छत्रों का दावा है की मांगें पूरी न होने तक धरना 24 घंटे जारी रहेंगे और आगे चल कर ये आमरण अनशन का रूप भी ले सकता है। इस दौरान तमाम छात्र नेता और बड़ी संख्या में छात्र मौजूद है इनलोगो का कहना है के छात्रों और विवि और प्रशासन के बीच सामंजस्य बनाए रखने के लिए छात्रसंघ चुनाव का होना ज़रूरी है।






आपको बता दे 2007 में लखनऊ विवि आखरी बार चुनाव हुए थे। 2012 में चुनाव की तारीख़ घोषित हो गई थी, 15 अक्टूबर 2012 में चुनाव होना था पर इसके  बाद हेमंत सिंह की याचिका पर चुनावो पर रोक लगा दी गई थी।

Monday, September 18, 2017

दाऊद के भाई इकबाल कासकर को हिरासत में लिया गया, जबरन वसूली के मामले में हुई कार्रवाई, प्रदीप शर्मा का सराहना हुयी सरकार में कासकर कि गिरफ़्तारी के बाद खौफ़ में आ गया अंडरवर्ल्ड, माफ़ियाओ कि दुनिया में मच गई उथल पुथल, एक ही नाम प्रदीप शर्मा



मुंबई से अजय शर्मा कि रिपोर्ट 

ठाणे: अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर को जबरन वसूली के मामले में हिरासत में लिया गया है. ठाणे के एंटी एक्सटॉर्शन सेल ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। जांबाज पुलिस ऑफ़िसर प्रदीप शर्मा कि टीम ने इक़बाल के साथ 4 और लोगों को गिरफ्तार किया है। एन्काउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने इक़बाल कासकर को मुंबई के नागपाड़ा इलाके से गिरफ्तार किया है। 
पुलिस सूत्रों के मुताबिक इक़बाल पर अपने भाई के नाम से जबरन वसूली करने का आरोप है। ठाणे, उल्हासनगर और डोम्बिवली के बिल्डरों से जबरन वसूली की खबरें आ रही थीं। उन्ही में से एक बिल्डर ने सीधे ठाणे पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह से शिकायत की जिसके बाद ठाणे एंटी एक्सटॉर्शन सेल ने जांच कर कार्रवाई की है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिस के हाथ इक़बाल कासकर के खिलाफ फोन पर धमकाने का ऑडियो भी लगा है। कल इक़बाल कासकर और बाकी के आरोपियों को अदालत में पेश किया जाएगा। इक़बाल कासकर और उसके साथियों ओर मकोका के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।


यह पहला मौका नहीं जब इकबाल को वसूली के मामले में गिरफ्तार किया गया हो। 3 फरवरी 2015 को मुंबई पुलिस ने मो. सलीम शेख नाम के एस्टेट एजेंट ने तीन लाख रुपये हफ्ता मांगने और पिटाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
दाऊद के भाई इकबाल कासकर को 2003 में दुबई से प्रत्यार्पित किया गया था. आने के बाद उस पर सारा सहारा मामले मे मुकदमा चला, लेकिन सबूत की कमी की वजह से वह बरी हो गया था। इससे पहले, इकबाल कासकर पर 2011 में जानलेवा हमला हुआ था। फायरिंग में इकबाल के ड्राइवर की मौत हो गई थी। दो हमलावरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इनके पास विदेशी हथियार भी मिले थे।

Saturday, September 16, 2017

'उम्मीदों की धारा' लेकर बढ़ेगा सरदार सरोवर बांध, तीन राज्यों को करेगा रोशन

जन्मदिन पर मां का आशीर्वाद लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.. गुजरात के 56 साल लंबे इंतजार को पूरा करेंगे और सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन करेंगे. इस बांध से गुजरात के बड़े इलाके में किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा. बांध से बिजली उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी. पीएम मोदी के हाथों बांध के 30 गेट खुलेंगे तो पानी गुजरात में उम्मीदों की धारा लेकर बढ़ेगा और मध्य प्रदेश के सैंकड़ों गांव... अपने अस्तित्व के मिट जाने की तैयारी कर रहे होंगे.
नर्मदा नदी पर बनकर तैयार यह बांध दुनिया में दूसरे नंबर का और अपने देश का सबसे ऊंचा बांध है. बांध की ऊंचाई 138 मीटर है और इस ऊंचाई को पाने में सरदार सरोवर ने 56 साल के विवादों का लंबा सफर तय किया है.
सैकड़ों गांवों के गुम हो जाने की दर्दनाक हकीकत
दूसरी ओर इस बांध के साथ जुड़ा है सूखे से हरे होने का सपना और सैंकड़ों गांवों के गुम होने जाने की दर्दनाक हकीकत. सरदार सरोवर के साथ राजनीति के लंबे दांवपेंच भी चले. मामला कोर्ट तक पहुंचा. बरसों तक डूब में आने वाले गांव के लोगों ने जल सत्याग्रह किया और इन सबके साथ बांध का काम रुक-रुक कर आगे बढ़ता रहा.
56 साल बाद सरदार सरोवर बांध अपनी पूरी क्षमता के साथ पानी और बिजली देने के लिए तैयार है. गुजरात के लिए ये मौका बेहद खास है और इसलिए उद्घाटन की पूर्व संध्या को भी यादगार बनाने की पूरी तैयारी की गई. लेजर की रंग बिरंगी रोशनी से बांध के 30 गेटों को सजाया गया. रौशनी से नर्मदा के 30 गेटों पर तरह - तरह की कलाकृतियां बन रही थी.
सरदार पटेल का था सपना
सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है, तो इसकी तैयारियां भी कई दिनों से चल रही हैं. बांध के इस पूरे इलाके पर केसरिया रंग का ताना बाना बिखरा है. यहां सरदार पटेल की मूर्ति भी रखी गयी है. ये प्रोजेक्ट सरदार वल्लभ भाई पटेल का सपना था कि गुजरात का किसान पानी की किल्लत की वजह से अपनी पूरी फसल नही ले पाता है, उसे इस बांध से फायदा मिले.
गुजरात को मिलेगा 40 फीसदी ज्यादा बिजली
138 मीटर ऊंचे सरदार सरोवर बांध की जल भंडारण क्षमता अब 4,25,780 करोड़ लीटर हो चुकी है. ये पानी पहले बह कर समुद्र में चला जाया करता था.
2016-17 के दौरान बांध से 320 करोड़ यूनिट बिजली पैदा की गई. अब ज्यादा पानी जमा होने से 40 फीसदी ज्यादा बिजली पैदा की जा सकती है. सरदार सरोवर डैम से बनी बिजली का 57 फीसदी महाराष्ट्र को, 27 फीसदी मध्य प्रदेश को और 16 फीसदी गुजरात को मिलेगा.
महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात को मिलेगा फायदा
बांध से गुजरात के हजारों गांवों के साथ महाराष्ट्र के 37, 500 हेक्टेयर इलाके तक सिंचाई की सुविधा होगी. राजस्थान के दो सूखा प्रभावित जिले जालौर और बाड़मेर तक 2,46,000 हेक्टेयर जमीन की प्यास बुझेगी. गुजरात के 9,633 गांवों तक पीने का पानी पहुंचेगा. यानी सरदार सरोवर बांध से गुजरात के साथ महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश को फायदा मिलने वाला है.
1961 में रखी गई थी बांध की आधारशिला
नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी ने 16 जून को डैम के सभी गेट बंद करने आदेश दिया और बांध में जल का भराव 121.92 मीटर से बढ़ाकर 138 मीटर कर दिया गया. इससे बांध की स्टोरेज क्षमता 1.27 मिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़कर 4.73 मिलियन क्यूबिक मीटर हो गई.
बांध की आधारशिला 1961 में रखी गई और इसके निर्माण की शुरुआत 1987 में हुई. अधिकारियों ने बताया कि मुख्य और सब कैनाल नेटवर्क का काम पूरा हो गया है. लेकिन छोटे-छोटे कैनालों का 30 प्रतिशत काम अभी किया जाना है. बांध को बनाने में जितना कंक्रीट लगा है, उसके मुताबिक यह सबसे बड़ा बांध है. अमेरिका के ग्रैंड कौली डैम के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है.

बांध को बंद करने में लगता है एक घंटे का समय
1.2 किलोमीटर लंबा बांध 163 मीटर गहरा है. बांध के दो पावर हाउसों बेड पावर हाउस और कैनाल हेड पावर हाउस की क्षमता क्रमशः 1,200 मेगावॉट और 250 मेगावॉट है. सरदार सरोवर बांध से अब तक 16,000 करोड़ से ज्यादा की कमाई हो चुकी है, जो कि इसकी लागत का दो गुना है. डैम का हर एक गेट करीब 450 टन का है और इसे बंद करने में करीब एक घंटे का समय लगता है.
सौ से ज्यादा गांवों का मिट जाएगा अस्तित्व
हालांकि सरदार सरोवर बांध से विवादों का भी नाता है और इसके पीछे वो हजारों लोग हैं, जिनके गांव का अस्तित्व सरदार सरोवर बांध में हमेशा के लिए गुम हो जाएगा. बांध के 30 गेट के खुलते ही मध्य प्रदेश के 192 गांव, महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव नक्शे से मिट जाएंगे.
अदालत और राजनीतिक विवादों से गुजरते हुए मुकाम तक पहुंचे सरदार सरोवर बांध को पीएम नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर लोकार्पित कर रहे हैं. गुजरात में जश्न है तो मध्य प्रदेश में मायूसी.. देश के सबसे ऊंचे बांध का पहला पन्ना.. स्वागत और विरोध के दो सुरों के साथ ही लिखा जाना है.

PM मोदी ने जन्मदिन पर मां हीराबेन से लिया आशीर्वाद


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने 67वें जन्मदिन के अवसर पर अपने गृह राज्य गुजरात पहुंचे. सबसे पहले वह गांधीनगर पहुंचे और अपनी मां हीराबेन से आशीर्वाद लिया. यहां प्रधानमंत्री से मिलने के लिए आस-पड़ोस के कई बच्चे भी पहुंचे.
पीएम मोदी पहले भी अपने जन्मदिन पर मां से मुलाकात करके आशीर्वाद लेते रहे हैं. आज भी जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने यह परंपरा निभाई. अब वह सरदार सरोवर बांध देश को समर्पित करने के साथ यहां दो रैलियों को भी संबोधित करेंगे.
मोदी आज जन्मदिवस पर अपने पसंदीदा सरदार सरोवर बांध परियोजना और सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में बने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का भी दौरा करेंगे. 182 मीटर ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की पहल मोदी ने की थी और वह काफी समय से सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के भी पक्ष में हैं. इस बांध की ऊंचाई हाल ही में बढ़ाकर 138.68 मीटर की गई है.
जल क्षमता बढ़ने से कई राज्यों को होगा फायदा
एक अधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक बांध की ऊंचाई बढ़ने से प्रयोग करने वाली जल क्षमता 4.73 एकड़ फुट (एमएएफ) हो जाएगी, जिससे गुजरात , राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लोगों को फायदा होगा. इस परियोजना से गुजरात के जल रहित क्षेत्रों में नर्मदा के पानी को नहर और पाइपलाइन नेटवर्क के जरिये पहुंचाने में मदद मिलेगी और सिंचाई सुविधा में विस्तार होगा, जिससे 10 लाख किसान लाभान्वित होंगे. साथ ही कई गावों में पीने का पानी पहुंचेगा और यह चार करोड़ लोगों को फायदा पहुंचाएगा.
परियोजना से प्रतिवर्ष पैदा होगी 100 करोड़ यूनिट बिजली
इस परियोजना को जल ट्रांसपोर्ट के सबसे बड़े मानव प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है. इससे प्रतिवर्ष 100 करोड़ यूनिट जलबिजली पैदा होने की संभावना है. सरदार बांध का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री साधु बेट जाएंगे, जहां 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' और इससे संबंधित सरदार वल्लभ भाई पटेल स्मारक परिसर का निर्माण किया जा रहा है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि पीएम मोदी को इस परियोजना के काम की प्रगति का संक्षिप्त विवरण भी दिया जाएगा. परियोजना के अंतर्गत 182 मीटर लंबी मूर्ति, एक प्रदर्शनी हॉल और एक आगंतुक केंद्र बनाया जाए रहा है.
नर्मदा महोत्सव में भी करेंगे शिरकत
प्रधानमंत्री मोदी नर्मदा महोत्सव के समापन समारोह में शामिल होंगे और दभोई में लोगों को संबोधित करेंगे. समारोह के दौरान वह राष्ट्रीय जनजाति स्वतंत्रता सेनानियों के लिए संग्रहालय की आधारशिला रखेंगे. मोदी बाद में अमरेली जाएंगे, जहां वह एपीएमसी के नए मार्केट यार्ड का उद्घाटन करेंगे. वह मधु उत्पादन केंद्र की आधारशिला और अमर डेयरी के नए प्लांट का उद्घाटन भी करेंगे. वह अमरेली में सहाकार सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे.

Saturday, September 9, 2017

दहेज़प्रथा का समर्थन करता बेटी का पिता


अज़ाद खबर संवाददाता, मंजुल मंजरी ( बिहार )
( दहेज़रोधी विशेषज्ञ )

“मेरी प्यारी गुडिया रानी ...तुझे मैं एक सुन्दर राजकुमार सा दूल्हा लाकर दूंगा ...जो तुझे जीवन भर पलकों पर बिठा कर रखेगा ” ..प्रत्येक  बाप का अपनी बेटी के प्रति किया गया वादा ...जो उसे लालच देता है एक ऐसे सुखद भविष्य को जिसे वर्तमान में संजोये गए सपनों से खरीदा जाना है ...पिता चाहता है की उसकी बेटी की शादी एक ऐसे व्यक्ति से हो जो सफल हो समाज में और ऊँचे रसूख वाला भी हो ...एक पिता की अपनी बेटी के प्रति यह सोच गलत भी नही है ...मगर उसे पता है की बिटिया के लिए ऐसे सुन्दर राजकुमार को ज़िन्दगी में लाने के लिए एक भारी कीमत अदा करनी होगी ...जिसे दहेज़ कहा  जाता है ....
.................................................................................
पिता का यही भावुक लालच वर पक्ष में जाकर पैसे के लालच में तब्दील हो जाता है ...वर का पिता बेटी का पिता का सपना पूरा करने के लिए एक मोती रकम की मांग करता है ..यदि बेटी का पिता सक्षम है तब तो मांग से ज्यादा अदायगी कर दी जाती  है ..लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर पिता अपने बेटी का नया घर सजाने में उसके पुराने घर (मायके ) तक को गिरवी रख देता है ...और एक ऐसा कर्ज़दार बन जाता है ..जिसे चुकाने में उसकी बूढी हड्डियाँ चटक जाती हैं ...फिर भी वर पक्ष की मांग खत्म नही होती ...एक सफल दामाद की चाहत में बेटी का पिता इस दहेज़ रूपी कर्मकांड का मुख्य वाहक बन जाता है ...
.................................................................................
सब जानते हैं की दहेज़ एक कानूनी अपराध है साथ में समाज का गन्दी कुरीति भी ..मगर इसे ख़त्म करने की पहल कोई नही करना चाहता ..क्योंकि लालच सबके अन्दर है ..बेटी के पिता को एक अच्छे वर की और बेटे के पिता को अच्छी रकम की ...दोनों ही समान रूप से इसके अपराधी भी हैं और भुक्तभोगी भी ...आईएस ,डॉक्टर ,इंजिनियर और सरकारी नौकरी में कार्यरत दुल्हों का शादी का रेट क्या है ..ये सभी लोगों को पता है ..यानी हम सब इस वर मंदी के खरीददार भी हैं ..और दुकानदार भी ...
.................................................................................
क्या इस दहेज़ रूपी कुरीति से बेटी का बाप कभी बाहर आ सकता है ...हाँ क्यों ..आ सकता है ..यदि हम अपनी बेटियों को ही आत्मनिर्भर बना दे ..तब ..उन्हें खुद अपनी जीवनसाथी को चुनने में उनकी सहमती देने का अधिकार प्रदान करें ...एक राजकुमार पाने के ख्वाब दिखाने के बजाय उसे शिक्षित कर वास्तविक रूप में आर्थिक आत्मनिर्भर बनाये तब ...हम क्यों नही बेटियों को उसकी शादी के बजाय उसके करियर को तरजीह देते हैं ..आखिर क्यों एक लड़का ही अपनी पत्नी का भरण-पोषण करने के लिए दवाब में रहे ...आप अपनी बेटियों को इतना सशक्त क्यों नही बनाते की कल बेटे का पिता अपने बेटे को यह ख्वाब दिकाए की तुम्हारे लिए एक सफल पत्नी लाकर दूंगा ..जो तुम्हारा हर कदम पर साथ निभाएगी ...आप अपनी लालच को बेटी के सफल करियर के लाच में क्यों तब्दील नही करते ...यदि आपकी बिटिया कमाने और घर चलाने में खुद ही सक्षम होगी ..तो क्या ज़रूरत पड़ेगी महंगा वर खरीदने की ...
.................................................................................याद रखें :-बेटियों को नाज़ुक राजकुमारी न बनाकर पालें ..उन्हें मौक़ा दें एक सफल युवती बनने में ...और सफलता पाने के बाद किसी राजकुमार की नही उसे एक अच्छे जीवनसाथी की जरूरत पड़ेगी ..जो दहेज़ के बगैर भी संभव है ...

Thursday, September 7, 2017

अब देखना है की जीत किसकी होती है। खड़से की या मेरे सच की - डायनेमिक अंजली दमानिया


अजय शर्मा ( मुंबई )

मुंबई के एक पुलिस थाणे वाकोला में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया ने कल बुधवार शाम से ही अपने कार्यकर्ताओं के साथ इस पुलिस थाणे में अनिश्चित कालीन अनशन पर बैठी है। सारा मामला जलगाँव के विधायक एकनाथ खड़से से सम्बंधित है। उन्होंने दमानिया के विरुद अपशब्द बोले हैं। इसी विषय को लेकर खड़से के विरुद्ध आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करने के लिए सरकार पर दबाव बनाकर सरकार की नींद हराम कर दी है। दमानिया ने,  
              एक तरफ जहाँ सरकारें महिला सशक्तिकरण की बात का ढोल बजाकर ठोस दावे प्रस्तुत करती है। अपने सरकार में महिला को रक्षा मंत्री बनाकर महिलाओं के आत्मविश्वास को मज़बूत करती है। वहीँ नेता मंत्री महिला की इज़्ज़त न करते हुए उनके विरुद्ध अपशब्द बोल देते हैं। देश भर में महिलाओं के साथ घटती कई घटना उदाहरण है। इस वक़्त की इस बड़ी खबर ने महाराष्ट्रा की राजनीति में भूचाल लाकर खड़ा कर दिया है। जिससे नेता मंत्रियों के दिल की धड़कनें तेज़ हो गयी हैं। महाराष्ट्रा विधान सभा में अपनी एक अलग सी पहचान बनाने वाले महाराष्ट्रा जलगाँव से विधायक एकनाथ खड़से एक बार फिर से आरोपों के घेरे में दिखते नज़र आ रहे हैं। मंत्री पद पर रहते हुए पहले भी उनपर एक गंभीर आरोप लगने की वजह से उनका मंत्रालय छीन गया था। लेकिन इस बार उनका सामना आप की पूर्व नेता व प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया से हो रहा है। दमानिया ने आज़ाद खबर और हिंदमाता मिरर के पत्रकार को वाकोला पुलिस थाणे में पूरी जानकारी देते हुए आरोपित तथ्य को बताया की इस सारे राजनितिक मामले का कारण उनके द्वारा फाइल किया एक पिटीशन जो खड़से के विरुद्ध है। जिसकी एक कॉपी खड़से के पास है। इस मामले को लेकर २ अगस्त को खड़से ने अपने जन्म दिन पर दमानिया के विरुद्ध अपशब्द बोले इसकी जानकारी मिलते ही बात कुछ साफ़ नहीं हुयी है। खड़से बोलने लगे की उन्होंने कुछ नहीं बोला है। इस पुरे मामले में पुलिस पूरी तरह से खामोश दिखी पुलिस उपायुक्त अनिल कुम्भारे ने भी इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है। पूरी इस खबर की जानकारी के लिए जब खड़से से संपर्क साधा गया तब उनका सेल ऑफ़ बताया। खड़से के विरुद्ध आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध मामला दर्ज हो इस बात को लेकर दमानिया अड़ चुकी हैं। और अनशन तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक खड़से के विरुद्ध वाकोला पुलिस एफ आई आर दर्ज नहीं कर लेती है। अनशन २४ घंटे से ऊपर का वक़्त बीत गया है। दमानिया का कहना है। की जीत खड़से के गंद की होती है। या फिर मेरे सच की, जब तक उसके विरुद्ध मामला दर्ज नहीं होगा हम सभी यहाँ से हिलने वाले नहीं सरकार को झुकना होगा। खबर लिखे जाने तक कोई निर्णय नहीं लिया गया सरकार की तरफ से। वाकोला पुलिस थाणे में मीटिंग जारी है।          

नीतीश कुमार का धर्म संकट –नयी दोस्ती में कद को लेकर दरार


मंजुल मंजरी, ज़ाद खबर संवाददाता (बिहार)


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरह महज 20 महीने पुराने राजनीतिक गठबंधन से एक झटके में  खुद को आज़ाद कर दिया ....और खुद पर धोखा देने के कई इलज़ाम सहे ...उम्मीद थी की इतने बड़े कदम के बाद उन्हें केंद्र से बतौर तोहफे में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की कुछ कुर्सियां जरुर मिलेगी ... मगर जब रविवार को राष्ट्रपति भवन में नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया ...तो जेडीयू को उसकी दोस्ती के बदले में कुछ नही देकर एक और विवाद उत्पन्न कर दिया गया ...जिसे अन्य राजनीतिक दलों ने खासकर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने इस मामले पर नीतीश को निशाने पर लिया .... राष्ट्रपति भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह के बाद पर ट्वीट करते हुए राजद नेता लालू प्रसाद ने अपने चुटीले अंदाज में नीतीश पर तंज कसते हुए लिखा कि खूंटा बदलने से क्या भैंस ज्यादा दूध देगी? वहीँ इससे ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव मजाक उड़ाते हुए लिखा था कि झुंड से भटकने के बाद बंदर को कोई नहीं पूछता....  वही राजद पार्टी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आलोचना करते हुए कहा  कि नीतीश कुमार को 'माया मिली न राम'. तिवारी ने अपने बयान में दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिस दिन बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया थाउसी दिन दोपहर के भोज में वे जेडीयू के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के आग्रह को ठुकरा चुके थे.... विस्तार से ठीक पहले शिवसेना ने एक बयान जारी कर कहा था कि कैसे हो सकता है कि दो सांसदों वाली पार्टी के दो नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए और 18 सांसदों वाली पार्टी को एक ही मंत्री पद मिले. उनका इशारा जेडीयू की ओर था जिसके लोकसभा में केवल दो ही सांसद हैं...
      गौरतलब है की नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार में जेडीयू के दो मंत्रियों के शपथ दिलाने की खबरें मीडिया में आई थीं... जेडीयू के सूत्रों ने बताया था कि नीतीश ने  इस मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए अपने कोट से दो मंत्रियों के नामों पर चर्चा भी कर ली. एक मंत्री का नाम फाइनल कर लिया था और दूसरे नाम पर मंथन जारी था. लेकिन जब वास्तविक्ता में कैबिनेट विस्तार हुआ तब जेडीयू के किसी नेता  को नहीं देखा गया ....यह अभी भी राजनीतिक हल्कों से निकलकर सामने नहीं आया है कि आखिर क्यों इस मंत्रिमंडल विस्तार में जेडीयू के किसी नेता को शामिल नहीं किया गया.
जब इस मसले पर मीडिया द्वारा नीतीश से सवाल पूछा गया तो  नीतीश कुमार ने सफाई दी की “मेरी पार्टी के संबंध में जो भी बात होगी मैं खुद सबको बता दूंगा. अपने आप ही मीडिया सब चला रहा है. कैबिनेट विस्तार में जेडीयू का नाम बेवजह लिया गया...
नीतीश कुमार के इस कैबिनेट विस्तार के मसले पर पल्ला झाड़ने के बाद भी मामला ठंडा नही हुआ ...राजनीतिक गलियारे से सुगबुगाहट साफ़ झलक रही है ...नीतीश भी जानते हैं की उन्हें जिस फायदे की उम्मीद थी इस नए गठबंधन से ..वो उन्हें नही मिली ...उन्हें केंद्र में अपनी धमक जगानी थी ..साथ ही जेडीयू कोटे से केन्द्रीय मंत्रिमंडल में अपने नेताओं को जगह दिलाकर बिहार की जनता के सामने खुद को साबित भी करना था .....मगर राजनीति असंभावनाओं की जननी है ...प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा की तरह सबको निरुत्तर करते हुए जेडीयू को इस विस्तार से दूर रखा ...  जेडीयू के कई वरिष्ठ नेता भी इस बात से खफा हैं ..और नीतीश को उनकी नयी दोस्ती करने के लिए पुराने गठबंधन को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं ....


    वहीँ सूत्रों का कहना है कि अभी संभव है कि एक और मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है. यह इसलिए कहा जा रहा है कि अभी मोदी मंत्रिमंडल में कुछ मंत्रियों की गुंजाइश बाकी है. संविधान के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी 81 मंत्री रख सकते हैं. अभी पीएम मोदी को मिलाकर कुल 76 लोग मंत्रिमंडल में हैं. यानि अभी भी पांच मंत्रियों की गुंजाइश है....
     मगर सवाल उठना लाजमी है ....नीतीश ने अपने जिस बड़े आदमकद को तलाशने और निखारने के लिए बीजेपी का दामन थामा था ...उसने उन्हें उनकी देश की राजनीति में अपने कद की पहचान करा दी ... बहरहाल आने वाले दिनों में जेडीयू को भले ही केन्द्र की ओर से कोई बड़ा तोहफा मिल जाए ..मगर अभी नीतीश की जो हालत है बिहार में ..उससे तो यही कहा जा सकता है की नीतीश बाबु बड़े ही धर्म संकट में फंसे हैं ..अब तो बीजेपी न निगलते बन रहा है ..न ही उगलते ...


Monday, September 4, 2017

बॉलीवुड में बगावत के बाद क्या अपना ताज बचा पाएंगी 'क्वीन' कंगना?


लोगों को हमेशा से बॉलीवुड की गॉसिप में इंटरेस्ट रहा है और जब खुद कोई सितारा अपने अफेयर की बातें बताए तो लोग दम साधे इसे सुनते है. ऐसा होता तो कम है पर इस बार हुआ है. बॉलीवुड की 'क्वीन' कंगना ने ऋतिक रोशन समेत कई लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

कंगना इन दिनों जिसे भी इंटरव्यू दे रही हैं बेबाकी से हर मुद्दे पर अपनी राय देती हैं. चाहे वो करण जौहर हो,ऋतिक हो या फिर आदित्य पंचोली. एक-एक कर कंगना ने सबकी बखिया उधेड़ दी है.

बॉलीवुड में चल रहे भाई-भतिजावाद पर आवाज उठाने वाली कंगना के समर्थन में कम ही लोग आए इसपर उनका कहना है कि बॉलीवुड को कड़वा सच पसंद नहीं आता. हालांकि ये पहली बार नहीं हुआ है.  कंगना ने अपनी फिल्म 'रंगून' प्रमोशन के दौरान भी इस मुद्दे पर खुलकर बात की थी. जिसपर बाद में कंगना की खूब आलोचना भी हुई.

कंगना ने तो अवॉर्ड शो को भी नहीं छोड़ा  उन्होंने कहा कि ये सारे अवॉर्ड शो फर्जी होते हैं इसलिए मैं कभी भी किसी शो में नहीं जाती.
कंगना इतने पर ही नहीं रुकीं, उन्होंने शेखर सुमन और अध्ययन सुमन को भी आड़े हाथों लिया तो अब सवाल ये उठता है कि फिल्म इंडस्ट्री में इतने लोगों को अपने खिलाफ करने वाली कंगना का आगे का सफर कितना मुश्किल होने वाला है!

अब तो ये देखना है कि बॉलीवुड के लिए झांसी की रानी साबित हो रही कंगना को कितने लोगों का सपोर्ट मिलता है क्योंकि इससे पहले ही नेपोटिज्म पर बात करने के बाद IFFA Awards के मंच से सैफ अली खान, वरुण धवन और करण जौहर ने उनका जमकर मजाक उड़ाया था.

कंगना की पिछली फिल्म 'रंगून' बुरी तरह फ्लॉप रही थी ऐसे में अगर 'सिमरन' और 'मणिकार्णिका' ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो बॉलीवुड में वो लोगों के निशाने पर आ जाएंगी.
 
Copyright © 2014 Revoli Full Width. Designed by OddThemes - Published By Gooyaabi Templates