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Saturday, January 20, 2018

श्री सिद्धचक्र महामंडल नौ दिवसीय विधान का चौथा दिन


बकस्वाहा - श्री सिद्ध चक्र विधान का नौ दिवसीय अनुष्ठान स्थानीय पुराना बस स्टैंड गांधी चबूतरा प्रांगण में 16 तारीख से प्रारंभ हुआ जो कि 24 तारीख तक चलेगा आज सिद्ध चक्र महामंडल विधान का चौथे दिन में हो रहे सिद्ध चक्र महामंडल विधान में आज 128 अर्ध चढ़ाये गये अब कल 256 अर्ध चढाये जायेगे। सुबह 6:30 बजे से भगवान का अभिषेक किया गया। तदउपरान्त शान्ती धार कि गई व् बाहुबली भगवान के मस्तकाभिषेक के 108 कलशों की बोलिया लगाई गई जोकि श्रद्धालुओं ने बड़ चढ़कर ली कार्यक्रम में मुख्य पात्र की भूमिका में सौ धर्म इन्द्र  विनोद कुमार जैन और शचि इंद्राणी ज्योति जैन ने बताया की पूजन और अर्ध के माध्यम से भगवान से विश्व शान्ती की कामना की जा रही है। संगीतमई विधान में अशोकनगर से पधारे संगीतकार राजीव जैन और उनके साथी कलाकारों द्वारा संगीतमई पूजन और विधान कराया जा रहा है और वो अपनी मनमोहक आवाज से पूजन और विधान में इन्द्रो और इन्द्रणीयो को झूमने पर मजबूर कर देते हैं इस पूजन विधान में जिसमें लगभग 125 जोड़े एक साथ पूजन विधान कर रहे हैं रात में होने वाली सांस्कृतिक कार्यक्रमों में महेंद्र जैन भगवॉ और उनके साथियों द्वारा मनमोहक नाटिकाएं प्रस्तुत की जा रही है। इस धार्मिक कार्यक्रम में आसपास से गांव से लोगों का आने का तांता लगा है इसी क्रम में आज बम्हौरी महिला क्लब द्वारा द्रव लेकर, सकल दिगंबर जैन समाज वाॅसा, महिला क्लब दमोह , महिला क्लब बम्होरी और  धर्मिक  कार्यक्रम में सहभागिता निभाई गई।
वही मुनिसुब्रतनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर से मुलायम फट्टा जी, सुनील बन्ना, अनिल जैन, खेमचंद फट्टा, अभय फट्टा, प्रदीप जैन, नवनीत जैन, पंकज बन्ना एवं महिला क्लाब द्वारा आज एक शोभायात्रा के रूप में मंदिर प्रांगण से कार्यक्रम स्थल तक द्रव्य लेकर कार्यक्रम में सहभागिता प्रदान की।

धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम शिष्य ब्रहमचारी श्री राजेंद्र भैया जी ने कहा की श्री सिद्ध चक्र विधान एक ऐसा अनुष्ठान है, जिससे मनुष्य की सभी विपत्तियां दूर होती हैं। उन्होंने कहा कि जैन अनुष्ठानों में इस विधान का सर्वोपरी स्थान है। इस अनुष्ठान को करने वाला अथवा कराने वाला अथवा रंच मात्र भी सहयोग करने वालों को ऐसा पुण्य लाभ होता है जो कभी कम अथवा नष्ट नहीं होता। उन्होने ने कहा कि जैन धर्म समेत लगभग सभी धर्मो में चक्र का विशेष महत्व है। यह धर्म चक्र तीर्थकरों के आगे-आगे चलता है। इसलिए अ‌र्न्तत्मा के साथ श्रद्धापूर्वक पूजन करने से अलौकिक पुण्य को प्राप्त कर हमारे जीवन को धन्य बनाता है। ट्रस्ट के प्रबंध समिति के सभी सदस्यों के प्रति अपने आर्शीवचन में उन्होंने सभी के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उनके और अधिक धार्मिक व सामाजिक उत्थान हेतु कार्यरत रहने की कामना 
सौ धर्म इन्द्र विनोद कुमार जैन  बताया कि अनुष्ठान के पहले दिन सिद्ध भगवान के आठ गुणों की पूजा की गयी। 

अनुष्ठान में इन्द्र , इन्द्राणी व जैन समाज के समस्त सदस्य आदि  पूजा-अर्चना की।

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